25 साल पहले इंदौर में पूर्वी बाईपास बनने के बाद 150 किलोमीटर से अधिक लंबे नए बाईपास रिंग का निर्माण शुरू हो गया है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने परियोजना प्रस्तुत की, और लोगों के प्रतिनिधियों ने इसे मंजूरी दी। नया बाइपास शहर को घेरेगा और इसके निर्माण में छह हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे।
अधिकारियों ने बायपास निर्माण के लिए जनप्रतिनिधियों के सामने तीन विकल्प रखे हैं। पहला विकल्प 139 किलोमीटर, दूसरा 145 किलोमीटर और तीसरा 161 किलोमीटर तक फैला हुआ है। पहले पश्चिमी बाइपास का निर्माण सीमेंट से किया जाता था, लेकिन नया बाइपास छह लेन वाले पूर्वी बाइपास की तरह डामर का होगा, जो दरारों के कारण बनना पड़ा था.
दो साल पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने वेस्ट बायपास को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दी थी। एनएचएआई अब तीनों विकल्पों सहित योजना परिवहन मंत्रालय को भेजेगा। अक्टूबर से पहले इंदौर को सौगात के रूप में नया बाइपास मिल सकता है, क्योंकि इस परियोजना को रेजीडेंसी कोठी में शहर के प्रतिनिधियों ने मंजूरी दे दी थी। आईडीए ने वेस्टर्न बायपास को लेकर भी सर्वे किया है और इसके आसपास एक योजना लागू करने पर विचार कर रहा है।
इसलिए जरुरी है इंदौर में बायपास
इंदौर से तीन राष्ट्रीय राजमार्ग जुड़े है। इंदौर-अहमदाबाद, इंदौर- इच्छापुर-अकोला हाईवे और आगरा-मुबंई हाईवे नए बायपास से जुड़ेंगे।
- तीनोंं राजमार्गों से आने वाले यातायात का दबाव शहरी क्षेेत्र पर नहीं पड़ेगा।
- बायपास बनने से शहर का विस्तार होगा। नए बायपास के अासपास बसाहट बढ़ेगी। भविष्य में देवास, महू, पीथमपुर इंदौर के उपनगर का हिस्सा होंंगे।
- बायपास की नई रिंग में डेढ़ हजार से ज्यादा गांवों से होकर गुजरेगी।